कौन है जो गिरते से बचाता है?

कौन है जो गिरते से बचाता है?

Ghibli-style illustration inspired by Shabbir Khan’s life and writings

एक रात मैं अपने कमरे में दीवान पर सोया हुआ था। यह रात बाकी रातों जैसी ही थी। उस दिन न कोई ख्वाब था और न ही कोई बेचैनी। मैं बेसुध सो रहा था।

शायद एक-दो घंटे ही सोया था कि अचानक मुझे एक झटका सा महसूस हुआ — और मैं जाग गया।

वह क्षण

मुझे वह एक क्षण आज भी साफ़-साफ़ याद है — जब एहसास हुआ कि मैं दीवान से गिर रहा हूँ, और अगले ही पल मैंने तेज़ी से करवट लेकर खुद को बचा लिया।

शायद मैं नींद में करवट बदल रहा था और इस बात से अनजान था कि मैं नीचे ठोस ज़मीन पर गिरने वाला हूँ।
पर तभी जैसे किसी ने मेरी रूह के भीतर से कहा हो —

“मोड़ लो अपना रुख... नीचे गिरने से बच जाओगे।”

जागते हुए भी मुझे वह नींद का पल याद है —
जब मैं सचमुच गिर रहा था, और ठीक उसी समय मैंने खुद को गिरने से रोक लिया।

इसलिए झटका सा लगा और मैं गहरी नींद से उठ बैठा।

अजीब एहसास

हैरानी की बात यह थी कि नींद में ही मैंने खुद को दूसरी ओर मोड़ लिया — और उसी समय अचानक महसूस किया कि मैं तो गिरने ही वाला था।

उस समय जैसे कोई आंतरिक शक्ति मेरी रक्षा कर रही थी।
मैं चुपचाप लेटे-लेटे सोचता रहा —

यह क्या था? क्या यह मैं था या कोई और मेरे लिए जाग रहा था? क्या हम सोते हुए भी जागते हैं? या फिर ईश्वर ने हर इंसान के अंदर एक चौकीदार रखा है, जो नींद में भी उसकी हिफ़ाज़त करता है? 😃

 

विज्ञान क्या कहता है?

🔍 क्या हम सोते वक्त भी जागते हैं?

हाँ, कुछ हद तक।
हमारी नींद पूरी तरह से बेहोशी नहीं होती। दिमाग सोते वक्त भी कुछ बुनियादी गतिविधियाँ जारी रखता है — जैसे शरीर की स्थिति पर नज़र रखना, आवाज़ों का ध्यान रखना, और संतुलन का ख्याल रखना।

इस स्थिति को "hypnagogic awareness" या आंशिक चेतना कहा जाता है।

🧠 कैसे पता चला कि मैं गिरने वाला था?

दिमाग का एक हिस्सा — vestibular system — यानी संतुलन और गति का केंद्र, सोते वक्त भी सक्रिय होता है।

जब आप नींद में करवट बदलते हैं और शरीर का संतुलन अचानक बदलता है, तो यह सिस्टम "खतरे का संकेत" भेजता है:
⚠️ “तुम गिर रहे हो!”

आपका motor system, जो शरीर को नियंत्रित करता है, तुरंत प्रतिक्रिया करता है — भले ही नींद पूरी तरह से टूटी न हो।

🛡️ मैंने खुद को कैसे बचाया?

यह एक स्वतःस्फूर्त प्रतिक्रिया थी — जैसे आपको सपने में लगे कि आप गिर रहे हैं और आप झटके से उठ जाते हैं।

यह वैसा ही है जैसे हम किसी गर्म चीज़ को छूकर तुरंत हाथ हटा लेते हैं — बिना सोचे समझे।
यानी, दिमाग नींद में भी हमारी सुरक्षा में लगा रहता है।

🤔 क्या यह चमत्कार था?

यह चमत्कार जैसा ज़रूर लग सकता है, लेकिन वास्तव में यह हमारी प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली है जो हमें चोट से बचाती है।

🧬 सरल भाषा में:

  • आप सोते वक़्त पूरी तरह बेसुध नहीं होते।
  • दिमाग आपकी शारीरिक स्थिति और संतुलन पर नज़र बनाए रखता है।
  • जब खतरा महसूस होता है, तो वह बिना आपको पूरी तरह जगाए प्रतिक्रिया करता है — जैसे गिरने से पहले आपको बचा लेना।