स्वार्थ की सीमा
Thoughtsकभी-कभी हम अपना कर्तव्य भूल जाते हैं। तब हम बहुत स्वार्थपूर्ण ढंग से काम करते हैं।
वास्तव में कोई मनुष्य स्वार्थ से परे नहीं है, फिर भी स्वार्थ की एक सीमा होनी चाहिए।
वह सीमा कहाँ है, इसे जानना हमारे लिए आवश्यक है।
उस सीमा का उल्लंघन करना मानवीय, धार्मिक तथा सामाजिक, हर दृष्टिकोण से बुरा है।
जब हम अपने स्वार्थ के लिए दूसरों के लिए दुःख उत्पन्न करते हैं, तब हम उस सीमा का उल्लंघन कर देते हैं।
इस दृष्टिकोण से हर काम जो देश या समाज में पीड़ा या कष्ट उत्पन्न करता है, एक सामाजिक या राष्ट्रीय अपराध है।
